एक्युप्रेशर का परिचय एक्यूप्रेसर चिकित्सा का एक पुरातन विज्ञान है। यह मानव शरीर की उर्जा प्राणली पर आधारित है। हमारे मानव शरीर की ऊर्जा, प्रकृति और ब्रह्मांड में व्याप्त प्रकृति और ऊर्जा से मिलती है। जिस प्रकार प्रतिदीन की जिंदगी में हम लोग मोसम, तापमान और दबाव में परिवर्तन अनुभव करते हैं, उसी प्रकार मानव शरीर में परिवर्तन होता है। जिस प्रकार प्रकृति में हवा बहती है और सब चीजों को चलायमान कराती है उसी प्रकार हमारे मानव शरीर में भी हवा बहती है और अलग अलग प्रकार की गति का आभास कराती है। जिस प्रकार गर्म सूरज पूरे संसार को रोशनी और गर्मी देता है उसी प्रकार हमारे मानव शरीर में गर्म खून हमारी स्किन को तेज, क्रांति और चेतना देता है। इस प्रकार यह चिकित्सा विधा जिसे हम एक्यूप्रेशर कहते हैं।
एक्युप्रेशर शब्द का अर्थ है एक्यू + प्रेशर अर्थात सूई+ दबाव। इस तरह यह सूई की नोक के बराबर प्रेशर के बारे में बताती है। यह छोटा सा दबाव मानव शरीर में किसी भी स्थान पर जिसे ( एक्यू प्वाइंट) कहते हैं, चिकित्सा का असर ले लेता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक्यूप्रेशर ऊर्जा प्रादली की चिकित्सा का वो तरीका है जिसमे एक हल्के सूई के बराबर प्रेशर एक निश्चित स्थान पर दिया जाता है। यह हल्का सा दबाव उत्तेजना उत्पन्न करता है तथा जहां दबाते हैं उस जगह की ऊर्जा को बदलता है। मानव शरीर में किसी भी जगह या स्थान पर ऊर्जा के स्तर में बदलाव पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है। इस तरह इसको हॉलिस्टिक इलाज का प्रकार भी कहते हैं।
एक्युप्रेशर उपचार की विधियां: 1. चुंबक द्धारा ( मैग्नेट द्धारा) 2. दबाव द्धारा: 3. बीजों द्धारा: 4. रिंग द्धारा: 5. रंग द्धारा: 6. हाथ के रोलर द्धारा: 7. पैर के रोलर द्धारा: 8. पिरामिड द्धारा: 9. पंप द्धारा :
एक्युप्रेशर का छेत्र (Scope of acupressure) शरीर के किसी अंग का विकार अथवा गंभीर रोग इसके द्धारा ठीक हो सकते हैं और हो रहे हैं इसके द्धारा दर्द के अतिरिक्त अर्थराइटिस, सर्वाइकल, स्पॉन्डिलिट्स, स्लिप डिस्क, कमर दर्द, घुटनों का दर्द, दमा, किडनी, यूरेटर की पथरी, अल्सर, गैस्ट्रेटिस, पैरालिसिस (लकवा) , हार्ट रोग, टी. बी. , कैंसर, एड्स के रोग आदि का सफल उपचार हो रहा है।